रविवार, 20 जनवरी 2013

बहिनी मन ल कब मिलही नियाव: गरभचोर डॉक्टर मन ला भितराव


का कहिबे संगी, फ़ेर कहे बिगर नई रहे सकंव। छोट-मोठ मनखे रहितिस त अभी तक ले जेल भीतरी होतिस अऊ ओखर जमानत लेवइया घलो नई मिलतिस। तेखरे सेती कहिथे न छोटे चोर ह चोर होथे अउ बड़े चोर ल साव कहिथे। अइसनहे हमर छत्तीसगढ मा होवत हे। छुट्टा घुमत हे हमर गांव-गंवई के बहिनी मन के गरभचोर डॉक्टर मन। गरभासय कांड के गए बछर जून के महीना मा भंडाफ़ोड़ होए रहीस। मीडिया म घलो चार दिन भारी हल्ला-गुल्ला मचिस। तहां ते आज तक काहीं सोर-खोर नईए। सरकार ह डॉक्टर मन के कमेटी बनाईस। कमेटी ह जांच करही तहां गरभचोर डाक्टर मन ला थाना अउ जेल मा धांधबो कहिन

9 झिन डॉक्टर मन के लायसेंस ला निलंबित करीस अउ एक हफ़्ता मा ऊंखर मन के लायसेंस के निलंबन ला खतम कर दिस। जाओं फ़ेर काटव पीटव और धकाधक पैसा कौड़ी झोर के गंवइहा मरीज ला नंगरा करव, ऊंखर खेती-खार ला बेचवाओ। ईंखर मन के नर्सिंग होम वईसनहे चलत हे जैइसन पहीले चलत रहिस। कोनो रोक टोक नइए, दूनो डउकी-डउका डॉक्टर हे, दोनो झिन के लायलेंस ल थोरे जप्ती कर दिही। इंखर मन के धंधा चलत रही भेले जेन बहिनी मन के गरभ निकाले रहिस तौन मन पीरा मा मरत रहाय। शरीर के संग पैसा कौड़ी के घलो नकसान होगे। आठ महीना होगे, ईंखर उपर कोनो कारवाही नई होना संदेह के कारज बनत हे।

का करबे संगी कहेच ला लागथे। डॉक्टर मन के काम मनखे के बीमारी दूर करना हे। भगवान के पाछू डॉक्टर मन ल जीव परान बचईया देंवता मानथे। अपन परान ल ऊंखर हाथ मा संऊप के आंखी ला मूंद देथे। मरीज बांचगे त डॉक्टर के जय-जय अऊ मरगे त भगवान ल दोस। डॉक्टरी जैइसे सेवा ल घलो धंधा बना डारिन। गाँव-गाँव मा मितानिन मन ला फ़ोकट म मोबाईल फ़ोन बांटिसअऊ कमीसन के धंधा अइसन चलाईस के खल-खल के गांव भर के बहिनी मन के गरभासय ला निकाल के फ़ेंक डारिस अऊ ऊंखर स्मार्ट कार्ड के जम्मो रुपिया पैसा ल चुहक डारिस। मरीज मन के पैइसा ल फ़र्जी तरीका ले निकाल डारिस। अउ फ़र्जी काम करईया डॉक्टर मन उपर कोनो अपराध दर्ज नई होईस।

जेन पइसा ल डॉक्टर मन हड़पिस तौन पईसा हमर आम जनता के पैइसा हे। जौन टैक्स हम सरकार ला देथन तौन पईसा हे। काखरो ददा घर के बांटा नईए। आम जनता के पैइसा के खुले आम चोरी ए, समझबे त सोज्झे डकैती आए। जम्मो ह सरकारी अस्पताल के डॉक्टर मन के मिली भगत के बिना नई हो सकय। जम्मो ब्लॉक के बीएमओ मन जानथे, काखर अस्पताल म काए होवत हे तेला। फ़ेर पैइसा पा के उहु मन आंखी ला मुंद देथे। सरकारी अस्पताल मा मरीज मन के कोनो सुनइया नईए, कोनो जगा डाक्टर मिल जथे त दवई नई मिलय। दवई मिल जाही त डॉक्टर नई मिलय। करही त काय करही गरीब मनखे ह।

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर मन पराईवेट अस्पताल डहर मरीज ल जोंग देथे। सरकारी अस्पताल मा बने ईलाज नई होए कहिके पराईवेट अस्पताल मा मरीज मन जाथे त ऊंहां खुन पेसाब के जांच करईया ले लेके मेडिकल तक जम्मो मन के कमीसन बंधे हे। गरभासय कांड के डॉक्टर मन ह त फ़र्जी आपरेसन करके पैईसा ला निकालिन फ़ेर सहर के एक झिन बड़े डॉक्टर ह ईंखर मन के बबा-ददा निकलगे। ए डॉक्टर ह त बिन आपरेसन करे, बिन सुजी दवई दिए गरीब मन के स्मार्ट कार्ड के पैईसा ला चोरा के भाग गे। तेखर आरो अभी तक ले पुलिस ह नई पाए हे। हाय पैइसा, हाय पैइसा लगे हे ए मन ला। कोन जानी ईंखर मन उपर कब कार्यवाही जेखर ले गरीब गुरबा मन ला नियाव मिलही। का कहिब ग, करलई हे, फ़ेर कहे बिगर रहे नई सकंव।       

2 Comments:

सूर्यकान्त गुप्ता said...

राम राम गा ललित भाई !

बने मेटर ल आज उघारे हस

जउन डाक्टर के बारे में लिखे हस त मोर एक संगी के सुरता आगे ..

वो एक पइत बीमार पेरिस, पेट के तकलीफ, घेरी बेरी सुभीता खोली के

बुलावा, डी-हाइडरेशन होगे ...एमिबियासिस के मरीज ...गईस ओ डाक्टर

मेर ...ओखर हुलिया पूछिस ...पता चालीस फलाना विभाग में काम करथे कहिके।

तुरते आई सी यू मा कर दिस भरती। ठीक होके निकलिस दू दिन म ...चार-पांच

हजार के बिल हाथ मा . फेर साल भर बाद उही तकलीफ। संगी शायद समझ गे

रिहिस ओकर चरित्तर ल . ए दरी डाक्टर के पूछे म किहिस पोस्ट ऑफिस म काम

करथों थोकिन पाजामा कुरता पहिन के गे रिहिस ओहू खीसा फटहा ....बस दू

घंटा म गुलुकोज के बाटल चढ़ा के दवाई पानी लिख के रवाना ....खरचा एक चौथाई ..

ए त हाल हे हमर शरीर के देख रेख करईया के ......बने लेख बर बधाई

jayant sahu_जयंत said...

भगवान करतिस ते दाई बहिनी के गारी-बखाना, सराप ह तुरते लग जातिस अउ डाक्टर मन के नास हो जतिस।
हमन तो भइगे अइसने रीस ल उतारे सकथन काबर कि नियाव करइया के आंखी म टोपा हे!
भगवाने नियाव करही तउने हा सिरतोन होही।

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